एक ख्वाइश है|
जो तू कभी सुबह मेरे लिए चाय लेकर आये,
ओ फिल्मो की तरह पहले पर्दे को हटाए,
माथे को चूम कर मुझको जगाये,
और फिर हम दोनों थोड़ा सा मुस्कुराये|
बस एक ख्वाइश है, इत्ती सी ख्वाइश है|
जो सिर्फ तेरे लिए है, जो सिर्फ तेरे लिए आये|
एक ख्वाइश है की,
हम हाथ पकड़ कर एकदूसरे का|
कही दूर तक बस चलते चले जाएं|
एक ईरफ़ोन को दोनों लगाकर,
एकसाथ कोई गीत गुनगुनाये|
जो एक लाइन कभी पसंद आ जाये दोनो को,
मुड़ के देखे और फिर मुस्कुराये|
बस एक ख्वाइश है, इत्ती सी ख्वाइश है|
जो सिर्फ तेरे लिए है, जो सिर्फ तेरे लिए आये|
एक ख्वाइश है की,
शाम को जो कभी हम कहि घूमने जाए|
नदी किनारे बैठ, पैर लटका के,
पानी को हटाये, कुछ पुराने पन्नो को दोहराये|
तुम्हारा सिर मेरे कंधे पे हो, और मेरे हाथ तम्हारे हाथो में,
दोनो मिलके क्यों न एक नया आशियाना बनाये|
बस यही कुछ ख्वाइश है, इत्ती सी ख्वाइश है,
जो सिर्फ तेरे लिए है, जो सिर्फ तेरे लिए आये|
एक ख्वाइश है कि,
जब रात हो जाये, आसमान में तारे चमचमाये|
मैं तेरे लिए जो खाना बनाऊ, तो तू मेरे लिए थाली सजाये|
जो अगर कभी घर की बिजली चली जाए,
तो तू मेरे पास आ कर दो मोमबत्ती जलाये|
तू पास बैठी हो मेरे, हम एकदूसरे को खाना खिलाये,
बस यही कुछ ख्वाइश है, इत्ती सी ख्वाइश है|
की आये एक दिन ऐसा भी, जब तू मेरी दिनचर्या बन जाये|
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Harsh Pratap Singh writes beautiful Hindi Poetry.
“I believe in keep smiling.. smiles make everything perfect.”
You can find him on Facebook
Email- singhharshpratap3561@gmail.com
2 responses to “ख्वाइश”
It’s a beautiful love poem and the last line summarises the theme wonderfully.I love the serene details.The simple yet complex idea of love could be felt ! keep up the good work!… happy writing buddy!
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Sooo beautiful
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