मेरी माँ, जिसके सामने थकान भी थक कर सो जाएं।
मेरे पिताजी , जिनके पास मैं ठीक हु या नही, इससे बड़ा कोई सवाल नहीं होता।
मेरे भैया, जो जितना मुझसे लड़ते है, उससे ज्यादा मेरे लिए लड़ते है।
मेरी दादी, जिनको मेरे खाना खाने से ज्यादा मुझसे और कुछ नहीं चाहिए।
और मेरे दादा जी, जो बस मुझे हर बार गांव बुलाने की हट करते है।
मैं ये सब छोड़ कर आ गया हूं शहर के एक छोटे से कमरे में।
जहाँ बिजली न होने पे अंधेरा हो जाता है….
दिन में, जिस कमरे में मेरी एक रसोई है, एक बैडरूम,
एक इस्टडीरूम, एक पूजाघर, एक मैं, और मेरे कुछ अरमान।
हा, एक दोस्त भी है, टेबल लैंप, जो उजाला देता है।
मुझे जब बिजली नहीं होती…दिन में, रातों में जल कर मेरी बिजली का खर्चा भी बचाता है।
वो मेरा दोस्त, मुझे उसने देर तक पढ़ाया है।
पढ़ रहा हु मैं, जो छोड़ कर आया हु, उसे पाने के लिए।
पढ़ रहा हु मैं, कुछ नया पाने के लिए ।।
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Harsh Pratap Singh writes beautiful Hindi Poetry.
“I believe in keep smiling.. smiles make everything perfect.”
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