सुनो हार!
तुम बहुत जीत लिए,
अब बारी मेरी आनी है।
तुम को समझा न समझा,
यह गलती आखरी वाली है।
तुम देखोगे, हार,
हार कितनी प्यारी है!
जब जीत नहीं मिलेगी तुमहे,
नींद नहीं आनेवाली है।
एकतरफा अब होगा खेल,
आंखें हुईं भारी हैं।
हर आंसू का लूंगा बदला,
जीत अबकी बार हमारी है।
मैं जो अब तक बहक-बहक कर अटक जाता था थोड़ा सा,
तू भूल गया दुनिया छोटी है, मिलना सबको है एक जगह।
अबकी मिले हो, धन्य हुआ मैं,
आईना दिखाया तुमने है।
लगा लो शर्त, लगा लो टीका,
कर लो तुम हवन कुंड।
अब रणखेत बांटने निकला हूँ,
भर जाएगा यह भी कुंड।
माफ करना,
अब की तेरी आंसू पर कंधा नहीं करूंगा मैं।
जानता हूँ बर्फ हूँ,
हीम बनने निकला हूँ मैं।
तुमको क्या लगता है,
फिर भटक जाऊंगा?
खुश हो रहे हो तुम,
कहीं फिर से अटक जाऊंगा!
तो सुनो!
अब की चोट हुई है,
कुछ हम से उम्मीद रखने वालों पर।
अटक गया या भटक गया,
अब हाँथ नहीं आऊंगा।
लड़ूंगा इस बार बुरा मैं,
बतलाता मैं तुमको हूँ।
तुम भी कमर कस कर आना,
यह समझाता मैं तुमको हूँ।
तुमको जीत का है ज़रा गुमान,
दिख मुझे सब अभी रहा।
हार का हुआ है दर्द मुझे,
क्या तू भी यह समझ रहा?
दर्द बड़ा है,
दुख ज्यादा है,
तो अब कि तेरी बारी है।
सुनो हार!
तुम बहुत जीत लिए,
अब हर्ष की बारी आनी है।
Hello, everyone! If you liked this Poem, do check out the related posts. Comment and like if you would like to read more similar works from the author. And don’t forget to share this on your social media channels.

Harsh Pratap Singh writes beautiful Hindi Poetry.
“I believe in keep smiling.. smiles make everything perfect.”
You can find him on Facebook
Email- singhharshpratap3561@gmail.com