
इक सफर गाड़ी की अगली सीट पे आगे बैठा मैं सब कुछ पीछे छोड़ता जा हु,
सोचता हूं क्या कभी दुबारा मिल पाएंगी ये चीज़े जो आंखों से ओझल होती जा रही हैं?
ये साथ जिन लोगो के साथ मैं जिये जा रहा, क्या अगली बार फिर मिलेंगे ऐसे ही हस्ते मुस्कुराते,
खैर जो भी हो, सफर अच्छा चल रहा है जहाँ सब शांत है, खोये है खुद में किसी इक गाने की धुन में,
जो मौसम के भाती बदल रहा है खुद को ।
गाड़ी भी अपनी रफ्तार नही बदल रही अब तो,
न ही सड़क पे कोई कोलाहल है,
मन भी ठहर गया है सड़क पे गाड़ी से कुछ दूरी पे और देखे जा रहा अनगिनत तसवीरो को अपने दिमाग़ में और साथ मे कुछ ख्वाब भी,
जो करने होंगे इस सफर के खत्म होते ही, और ये सफर खत्म हो, ऐसा भी कोई कहा चाह रहा ।।
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Harsh Pratap Singh writes beautiful Hindi Poetry.
“I believe in keep smiling.. smiles make everything perfect.”You can find him on Facebook
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