Written by Writer Ravina C. and edited by Editor Mrinali Jadhav
डर से बढ़कर डरा नहीं जा हैं.. डर सच हो इसका कोई भरोसा नहीं और फिर भी अगर डर है, तो डर के अंत को देखनाडर खुद तड़प रहा होगा खुद के ख़त्म होने से, क्यूंकि डर का असली डर, डर खुद ही है। तुम्हे ना अच्छाई में और ना बुराई में फसना है, तुम्हे सिर्फ तुम्हारे अनन्त में विलीन होना हैं, तुम्हारे खुद का अनन्त एक अटल सत्य हैं जिसमे सिर्फ एक सत्य है और वह सत्य.... तुम हो जब तुम उस सत्य को जान लो, तब तुम्हारी खुद से लड़ी हर लड़ाइयों का असली मतलब पता चलता हैं। वैसे ही तुम्हरा असली शत्रु तुम स्वयं हो, जितनी भी होड़ लगानी है खुद से लगाओ, और जीतो भी खुद से.कभी देखना आयने में, तुम्हे तुम्हारे हर एक रूप की अच्छाई और बुराई की परछाइयां नजर आयेगी जो आपस में ही लड़ रही होगी, मैं बड़ी, तू छोटी । इस दुनिया में फसना आसान है, और फ़साना भी आसान है ! लेकिन इस दुनिया का एक और सच भी हैं जिसमे तुम्हे खुद के लिए नाव, सवारी , चप्पू और नदी बनाना पड़ता हैं ! और नदी का निर्मल पानी, जो नाव को जगह देता हैं समय -समय पर यह सभी भूमिकाएं निभानी पड़ती हैं क्यूंकि खुद को ही हिम्मत का चप्पू बनकर, कभी नाव और पानी में से, एक को सहारा और दूसरे को चीरना पड़ता हैं बहुत कुछ सीखना है अभी खुद से और दुनिया से । रखे खुद से हिम्मत और उम्मीद आज में बेहतर, क्षणों में और भी बेहतर होना है। अपनाओ अपने सारे हथियार फिर रुक जाओ वक़्त के दरबार में, क्यूंकि वक़्त के आगे कोई नहीं दौड़ सकता हैं ! रुक जाओ खुद में, कुछ पल इस तरह बस मिलो जब खुद से तो, सिर्फ एक सत्य नजर आये और वो सत्य तुम खुद हो ! अपनाओ अपने सारे हथियार फिर रुक जाओ वक़्त के दरबार में, क्यूंकि वक़्त के आगे कोई नहीं दौड़ सकता हैं ! रुक जाओ खुद में, कुछ पल इस तरह बस मिलो जब खुद से तो, सिर्फ एक सत्य नजर आये और वो सत्य तुम खुद हो ! एक अटल और परम सत्य कभी अपने सवारियों को धोखा नहीं देता हैं। तुम ही शक्ति, तुम ही मुक्ति तुम ही करुणा, आनंद और पीड़ा तुम ही आज, अभी और अनंत और तुम ही उस वक़्त की सवारी । कोई नहीं अगर आज कुछ ठीक नहीं है ! तो अभी ही सब ठीक करना ही क्यों हैं, सब ख़राब भी कब तक रहेगा क्यूंकि हर जख्म का इलाज, जख्म के साथ आता हैं। रखो थोड़ा धैर्य और उम्मीदक्यूंकि वक़्त के परिणाम, हमेशा खूबसूरत होते हैं। फिर क्यों दौड़ लगानी है, इस तरह कि कुछ खोना नही चाहिए। जहाँ हो वहां रहो मिलोगे, तुम अपने उस रूप से जो कहेगा तुम्हे, चलो छोड़ते है यह सब यही पर आखिर में गहरी नींद भी जरुरी है। यह पहेलियाँ वक़्त की है सुलझनी वक़्त के अनुसार ही हैं
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